A Simple Key For Shiv chaisa Unveiled
A Simple Key For Shiv chaisa Unveiled
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ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
माँ री माँ वो डमरू वाला, तन पे पहने मृग की छाला।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
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नाथ Shiv chaisa असुर प्राणी सब पर ही भोले का उपकार हुआ।
बृहस्पतिदेव की कथा
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
दोस्तों श्री शिव जी Shiv chaisa के लोकप्रिय भजन पर हमारी शोध एवं लेखन कार्य जारी है। अतिशीघ्र यहां पर आपको और भजन पढ़ने को मिलेगा। आपको श्री शिव जी का कौन सा भजन ज्यादा अच्छा लगता है, more info जरूर बताइएगा।